पता नहीं केंद्र सरकार जेपीसी से क्यों भयभीत है|प्रधानमंत्री को चाहिए था की विपक्ष की मांग के अनुकूल संयुक्त संसदीय समिति का गठन कर उससे २ जी इस्पेक्त्रम मामले की जाँच कराते| सरकार का यह तर्क कतई पचाने लायक नहीं हे की लोक लेखा समिति में सभी दलों के लोग शामिल हैं|लोक लेखा समिति मंत्री को न तो तलब कर सकती हे, न ही इतनी शक्तिशाली हे की सरकार को निर्देशित कर सके|
वास्तव में देखा जाये तो प्रारभ से ही केंद्र का रवैया गेर जिम्मेदाराना है | संसद के शुरू होने के पहले सरकार ने बमुश्किल राजा को विदा किया , अब फिर जेपीसी न बनाने पर अड़ी हुई है |
शायद सरकार की मंशा में खोट है , और भ्रष्टाचार उसके लिए बड़ा विषय नहीं है |
Friday, November 26, 2010
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