राम हर बार लौटते थे अयोध्या , दीपावली के दिन
१४ बरस बाद लौटते थे , "जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी" यह उदघोसना कर
अपने जन्म स्थान को देख भी न पाते थे , सुरक्षाकर्मी रोक देते थे उन्हें
मर्यादा पुरुषोत्तम हैं राम, इसलिए नहीं दिखाते थे अपना स्वरुप
अपने घर तक आकर लौट जाते थे लोगों के मन मंदिर में वापस
धोबी के आरोप पर अपनी पत्नी सीता को वनवास देने वाले न्यायप्रिय राम वर्षों से प्रतीक्षित थे
वनवास का कारण बनी केकई को कोसल्या से बड़ा मानने वाले राम , अयोध्या के राजतिलक से भले ही वंचित हुए , पर इसी षड्यंत्र ने उन्हें जननायक बनाया
लौटेंगे तो बड़ी ही ख़ुशी होगी उन्हें , कुछ ही वर्षों में बन जायेगा उनका महल
केकई और मन्थरा के षड्यंत्र जारी हैं , पर राम का गौरव ही बढेगा
आइये करें नवुत्साह से राम का , उनके ही देश में , उनकी जन्मभूमि पर
इक़बाल ने कहा था "हे राम के वजूद पे हिंदोस्तां को नाज़ , अहले नज़र समझते हें उसको इमामेहिंद
Wednesday, November 3, 2010
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