राज्यसभा में पेश होने वाले दिन हंगामेदार स्थिति बन्ने से लग रहा था की शायद यह बिल पास नहीं हो पायेगा पर अगले दिन चर्चा के बाद १८६ /१ के शानदार समर्थन से जब यह पास हुआ तो उम्मीद बंध गई हे की आने वाला समय महिलाओं को राजनीति में नए मुकाम देगा व्यक्तिगत तौर पर यह कहने में मुझे कोई आपत्ति नहीं हे की कांग्रेस जिसने 20वी सदी के पहले अर्धशतक में anibesent को अपना अध्यक्ष बनाया था , आज उसकी सर्वेसर्वा भले ही एक विदेशी मूल की महिला हे पर उसने प्रतिभा पाटिल को पहली महिला राष्ट्रपति का गौरव दिया है, मीरा कुमार को पहली लोकासभा अध्यक्ष का गौरव दिया हे , साथ ही देश की राजधानी मुख्यमंत्री भी एक दशक से शीला जी हें यु.पी.ऐ। के राज्य में राज्य सभा में यह बिल पास होना भी कांग्रेस के पाले में महिलाओं की अगुई डालता है
खेर राजनेतिक रोटियां अपनी जगह हें पर यह प्रसन्नता का विषय हे की रोटियां बनाने वाले हाथों में देश की, प्रदेशों की बागडोर होगी और एक तिहाई महिलाएं लोकसभा से लेकर विधानसभाओं तक में चुनकर आएँगी झाँसी रानी और इंदिरा गांधी भारत के कोने कोने में कड़ी होकर देश के विकाश की इबारत लिखेंगी
शर्म का विषय हे की लालू.,मुलायम जेसे मौका परस्त लोग आज भी अपने वोट बैंक के चक्कर में बिल का विरोध कर रहे हें
Saturday, March 13, 2010
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