Saturday, November 28, 2009

भारतीय प्रतिभाओं को वापस बुलाने की पहल स्वागतयोग्य

मित्रो,

भारतीय प्रतिभाओं को देश के विकास में योगदान के लिए भारत वापस आने का न्योता देकर वे लोगv मनमोहन सिंह जी ने प्रधानमंत्री का दायित्व बखूबी निभाया है उनकी इस घोषणा के लिए मैं हृदय से उनको धन्यवाद् देता हूँ , साथ ही अपने सभी मित्रो भारत की भूमि में स्वागत करने के लिए
ललायित हूँ
हरगोविंद खुराना, अमर्त्य सेन, वही . एस नॉयपाल हाल ही में नोबेल पुरुष्कार जीते वेंकटरमण रामकृष्णनj जैसे लोग आज भारतीय होकर भी भारत में नहीं हैं , यह खेद का विषय है
अद्भुत प्रतिभाओं वाले इश देश में सुविधाओं के अभाव के कारण बहुत सारी प्रतिभाएं अविकसित ही रह जाती हैं , जो लोग अच्छी डिग्रियां प्राप्त करके योग्य बन जाते हें वे देश छोड़कर पलायन , कर जाते हैं जिन प्रतिभाओं को तैयार करने में हमारे देश के धन और शिक्षा तंत्र का योगदान होता है वो लोंग विदेशों की प्रगति में अपना योगदान देते हें जब कोई अप्रवासी भारतीय विशेष उपलब्धि हासिल करता है तो हमारा सीना गर्व से फूल जाता है
आज आवस्यकता इस बात की की सरकार ऐसा प्रबंध करे जिससे हमारे देश की मेधा हमारे देश के विकास में ही अपना योगदान करे और उसे सुविधाओं क विदेश aका मुंह न ताकना इस देश की भूमि पर जन्म लेने वाले प्रत्येक नागरिक का यह नैतिक दायित्व है की जिस देश की भूमि पर हमारा जन्म हुआ है , जिस देश का अन्न -जल खाकर हमारा यह शरीर बना हे ,उसकी सेवा में समर्पित होकर काम करें, कुछ सुविधाएँ कम मिलेंगी तो चलेगा पर मात्रभूमि की गोद में रहने का सुख तो मिलेगा साथ ही इस देश हमारा योगदान हो सकेगा



जय हिंद जय भारत आइये भारत माता आपको पुकार रही हे।

1 comment:

  1. Dear Friends,
    I am agree with the thought of AlOK ji, Reverse brain drain is necessary. Every INDIAN is thinking like this, we are born and brought up in an environment like this where MOTHER LAND is the top of every thing. Then why indian talent is going out of india. The answer is "we are not being recognize by the government". Government invest money for the training and education then refused to utilized the trained fellow, by not giving the suitable job.
    And if we talk about the status of living, where does the researcher of India stand they are no where in the picture, if you compair with any of the marketing guy or any clinician, we (the researcher of india) stand no where.
    So every "son of the mother land" is forced to leave the country for bread and butter" unwillingly.
    HATASH HOO MAI"

    With love
    Kapil ( a researcher)

    ReplyDelete