Monday, December 16, 2013

देश है तो सब कुछ है। राष्ट्रीय सुरक्षा, बलात्कार से काफी बड़ा विषय है।


१९७१ की पाकिस्तान पर भारत की जीत के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले विजय दिवस को आज, जी मीडिया ने निर्भया कांड के शोक दिवस के समकक्ष खड़ा करने की कोशिश की। एंकर ने शुरुआत करते हुए कहा कि आज विजय दिवस भी है और शोक दिवस भी। सब विषयों का राष्ट्रजीवन में अपना महत्व है ,नारी सुरक्षा महत्वपूर्ण है पर इस तरह की तुलना निरी बकवास है और नई पीढ़ी को गुमराह करने वाली है।
इंडिया गेट पर निर्भया कांड के विरोध जमा भीड़ का आक्रोश स्वाभाविक था , पर पीछे जलती अमर जवान ज्योति, देश के लोकतंत्र का नेपथ्य है  
मेरे मीडिया मित्रों को ये कौन बताये कि इस दौरान पूर्वी पाकिस्तान में लगभग चार लाख निर्भयाओं का बलात्कार पाकिस्तान की फ़ौज़ ने किया था। 
महिलाओं के साथ ऐसी ज्यादतियां की गईं जिनमे उनके साथ बलात् यौन संबंधों को बनाना, सैनिक कैण्ट मे महिलाओं को सेक्स वर्कर के रूप मे रखना आदि एवं सामूहिक बलात्कार जैसी हरकतें थीं। 
भारतीय
फौजियों ने 91000 पाक सैनिकों के घुटने टिकवा दिए थे। हमारे 8000 सैनिक शहीद हुए थे और बांग्लादेश का जन्म हुआ था , फलस्वरूप लाखों निर्भयाओं के शील की रक्षा हो सकी। यह भारतीय फ़ौज़ का अदम्य साहस था।

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